Friday, January 20, 2017

उम्र

उम्र ना पूछ ए हबीबी

बचपन संग जीना अभी बाकी हैं

जवानी की दहलीज़ में फ़ासले

दो चार क़दमों के अभी बाकी हैं

जिंदादिली की मिशाल ही

उम्र के हर पड़ाव के लिए काफ़ी हैं

सँवरती हैं खिलखिलाती सी हँसी

यहाँ तभी

राज इसके उम्र पे जब भारी हैं

जी भर जी लेने दे अभी

ए हबीबी

इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं

इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं

Sunday, January 15, 2017

इश्क़ ए नादाँ

अधरों पे मेरे इबादत बस एक ही सजी हैं

खुदा तू मेरा,  मौसक़ि भी तू ही हैं

कलमा गुनगुना रहा हूँ बस तेरे ही नाम का

आशिक़ी जूनून बन गयी जैसे चाह की तेरी

झुक गया  सजदे में तेरे आके मैं

कुछ और नहीं बंदगी हैं ये मेरे प्यार की  

पढ़ रही जो आयतें बस तेरे ही नाम की

एक तू ही मेरा मुकम्मल जहाँ मेरे वास्ते

तुझसे शुरू तुझ पे ही ख़त्म

रहनुमाई मेरे इश्क़ ए नादाँ की

मेरे इश्क़ ए नादाँ की




लफ्जों की बौछार

लफ़्ज उनके थे लव मेरे थे

रुमानियत भरी वो शाम थी

चाँद जमीं पे उतर आया था जैसे

हर तरफ़ सिर्फ़ चाँदनी की ही सौग़ात थी

बिन कहे उस पल वो सब कह गयी

लवों पे मेरे लफ़्ज अपने छोड़ गयी

लवों से लफ़्ज़ों का मिलन हुआ इस कदर

ना अब मैं था ना कोई दूजी कहानी थी

हर महफ़िल की रौनक

बस मेरे लवों पे सजी

उनके ही लफ्जों की बौछार थी  

उनके ही लफ्जों की बौछार थी

Saturday, January 7, 2017

छोटे से अरमान

छोटे छोटे अरमानों की धूप समेटे

धुंध को चीर बिखर रही

कई नई तेजस ओजस्वी किरणें

सफर के इस शिखर को चूमने

बेताब हो रही जाने कितनी ही किरणें

बाँध रखें थे अब तलक

जिन अरमानों के हाथ

पंख लगा दिए उन्हें

बदलते मौसम की बयार

सजाये अनगिनत अरमानों की बारात

निखर आयी इंद्रधनुषी किरणें

उमड़ते बादलों के दरम्यान

उमड़ते बादलों के दरम्यान