Saturday, August 13, 2016

जज्बातों की बात

सब जज्बातों की बात है

कही प्रेम तो कही कपटी चाल है 

उड़ाता मख़ौल बचपन की वो बात है 

वक़्त के साथ बदल गयी जज्बातों की बारात है 

ना अब वो चाँद महफिले शान है 

ना ही ग़ज़लों में वो रूमानी अंदाज़ है 

बस कुछ पल का याराना 

फ़िर अँधेरी रात है

सब जज्बातों की बात है

बदल गयी अब वक़्त की रफ़्तार है

खुशफ़हमी के आलम में जीने को

मजबूर आज हालात है

सब जज्बातों की बात है

1 comment:

  1. शास्त्री जी
    शुक्रिया
    सादर
    मनोज

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