Sunday, February 14, 2016

सुरा के रंग

बात जो मदिरालय की पुकार में

ना वो मस्जिद की अजान में

ना वो मंदिर के भगवान में

छू लेती है दिल को इसकी जो बात

यहाँ नहीं कोई महजब की दीवार

एक ही किश्ती के यहाँ सब खैवन्हार

छलकाती है जब ए जाम

जन्नत उत्तर आती हैं तब धरा के पास

थामी जिसने भी इसकी पतवार

खुद वो खुदा बन गया

सुरा के रंग समाय

सुरा के रंग समाय

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