Wednesday, October 1, 2014

नयी कहानी

क्यों ना फिर एक नयी कहानी लिखें

इस प्यार को एक नया मुकाम दे

दर्पण तू मेरा बन जाए

साया मैं तेरा बन जाऊ

मोहब्बत के सुर

जैसे दिलों की अजान बन जाए

पढ़े जो कोई इस इबादत को

इसमें ही उसे

खुदा का नूर मिल जाय

प्यार के इस पैगाम से

रुकी साँसों में भी

एक बार धड़कनें लौट आये

आओ सफर की इस  मंजिल पे

थामे हाथोँ में हाथ

अपने प्यार को एक नया नाम दे

क्यों ना फिर एक नयी कहानी से

प्यार का इजहार करे

आगाज करे

No comments:

Post a Comment