Monday, August 11, 2014

जिन्दगी संग जीना

ये जिन्दगी शिकायतें बहुत है तुझसे

फिर भी तेरे संग जीते है हम

हालात कहो या मज़बूरी

कभी मर मर

कभी जिंदा  रह रह

तेरे संग जीते है हम

पुलिंदा नहीं यह

बेवजह इल्जामों का

हकीकत का आईना मान इसे

तेरे संग जीते है हम

माना हर कदम ताल पर

सुर मिला नहीं करते

पर खुशियों के दीदार भी

हुआ नहीं करते है

फिर भी तेरे संग जीते है हम

ना यह गिला है

ना शिकवा है

कवायद है यह दुःख में भी

हँसते हँसते जीने की

बस इसीलिए ये जिंदगी

हर रंजों गम भुला

तेरे संग जिया करते है हम



Sunday, August 3, 2014

सच का आईना

अक्सर तन्हाइयों में

मैं खुद से बातें किया करता हूँ

मंजिल की उसका पता पूछा करता हूँ

कुँजी जिसके मेरे अपने पास है

पर लगता है किस्मत मुझसे नाराज है

दिखा सच का आईना

खुद से खुद को रूबरू किया करता हूँ

अक्सर तन्हाइयों में

मैं खुद से बातें किया करता हूँ

लम्बी रात

आज नींद फिर दगा दे गयी

सपने शुरू होने से पहले आँखे खुल गयी

आसमां भी अकेला था उसपर

ना सितारों का साथ था

ना चाँद में भी वो बात थी

टहरी टहरी सी रात की तन्हाई थी

झुकी झुकी बोझिल पलकें

करवटे तलाश रही थी

पर नींद सपनों से कोसों भाग रही थी

ओर गुजर नहीं यह रात थी

हर पल लम्बी घनी रात का अहसास करा रही थी

हर पल लम्बी घनी रात का अहसास करा रही थी