Thursday, July 3, 2014

वो दिन

कितना हसीन वो दिन था

परिणय उत्सव माहौल था

शहनाई की धुन

सज रहा मंगल गान था

वरण करने चाँदनी को

चाँद

सितारों की बारात ले आया था

अंगीकार कर उस सृष्टि रचना को

जीवन अर्धांगनी बना लाया था

बांधने आशीर्वाद का समां

उस मंजर

खुद खुदा भी साक्षी बन आया था

कितना हसीन वो दिन था

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