Wednesday, October 2, 2013

सखी

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज मयूर बन नाचु रे

कभी तेरे माथे की बिंदिया बन इतराऊ  रे

कभी तेरा घूँघट बन शरमाऊं रे 

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज गगन गगन उड़ता फिरू रे

कभी तेरा आँचल बन लहराऊ रे

कभी तेरी पायल बन खंनखाऊ रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो गीत आज मिलन के गाऊं रे

कभी तेरे बोल बन गुनगुनाऊं रे

कभी तेरे लबों पे सज जाऊं रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज तेरा बन जाऊं रे

कभी तेरी साँसे बन मुस्काऊं रे

कभी तेरी धड़कन बन दिल में बस जाऊं रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

दिल की मेरे सुनले रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे 

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