Monday, October 21, 2013

आंसुओ की सौगात

आंसुओ से पुरानी पहचान है

जन्म के समय कुदरत से मिली सौगात है

खारी होती आंसुओ की धार है

मगर अनमोल होती इनकी पुकार है

ख़ुशी हो या गम

छलकाती  जब ये अपना पैमाना है

रो पड़ता दिल बेचारा है 

इनको नहीं समय का कोई ठोर ठिकाना है

वक़्त बेवक्त चल दे देती है

छोड़ पलकों का सहारा  है

 

2 comments: