Monday, October 21, 2013

आंसुओ की सौगात

आंसुओ से पुरानी पहचान है

जन्म के समय कुदरत से मिली सौगात है

खारी होती आंसुओ की धार है

मगर अनमोल होती इनकी पुकार है

ख़ुशी हो या गम

छलकाती  जब ये अपना पैमाना है

रो पड़ता दिल बेचारा है 

इनको नहीं समय का कोई ठोर ठिकाना है

वक़्त बेवक्त चल दे देती है

छोड़ पलकों का सहारा  है

 

महत्वाकांक्षाये

क्यों कैलाश चढूं

क्यों गंगा स्नान करूँ

विसर्जित करदी महत्वाकांक्षाये जब सारी

बलिदानी नहीं मैं कोई

आहुति दे दी तब भी अरमानों की अपनी

संवर जाए शायद जिन्दगी मेरी

मिल जाए मोक्ष यहीं कहीं पर

क्यों भटकू यहाँ वहाँ

ईश्वर जब स्वयं विराज रहे

मेरे ह्रदय बीच आकर

आत्म चिंतन करू मंथन करू

क्यों वैराग्य मैं अपनाऊ

बस नश्वर तन भोगू

मानव कर्म अपने करते जाऊ 

चाँद की गुजारिश

गुजारिश की है चाँद ने

छुपा ले अम्बर बाहों के आगोश में

इज़हार कर रही हूँ तम्मना

अटखेलियाँ करूँ समा जाऊ

खो जाऊ तेरी लहराती वयार में

घूँघट बन जाए तू मेरा

छुपा लू मुखड़ा तेरे बादलों की आट में

इतराऊ रूप बदल बदल शर्माऊ

दीवाना बना दू मेरे घटते बड़ते आकार से

गुजारिश की है चाँद ने

छुपा ले अम्बर बाहों के आगोश में
 

Monday, October 7, 2013

प्यार के नगमे

तेरे प्यार के नगमों पे मैं इतराऊ

बन पवन का झोंका

तेरे संग संग लहराऊ

तू ही है जन्नत मेरी

मैं तेरी आँखों में बस जाऊ

तेरे गीतों पे दीवानों सा इतराऊ

साज बन तरानों सा बहता जाऊ

मैं तेरी सरगम में घुल मिल जाऊ

दिल में तेरे मैं बस जाऊ

तेरे प्यार के नगमों पे मैं इतराऊ   

Friday, October 4, 2013

प्यार की वयार

मैं वो सुन रहा हूँ

दिल जो तेरा कह रहा है

थामा  जो हाथ वो कभी छूटे ना

ओ मेरे यार मेरे प्यार

ये मैं सुन रहा हूँ

सुन ले तू भी ये मेरे प्यार

करदी है धड़कने मैंने अपनी तेरे नाम

ओ मेरे यार मेरे प्यार

झुका के पलके कर लिया तूने

मेरे प्यार को अंगीकार

ओ मेरे यार मेरे प्यार

जन्मो जन्मो बहती रहे 

अपने प्यार की वयार

ओ मेरे यार मेरे प्यार

मैं वो सुन रहा हूँ

दिल जो तेरा कह रहा है

ओ मेरे यार मेरे प्यार 

Wednesday, October 2, 2013

सखी

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज मयूर बन नाचु रे

कभी तेरे माथे की बिंदिया बन इतराऊ  रे

कभी तेरा घूँघट बन शरमाऊं रे 

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज गगन गगन उड़ता फिरू रे

कभी तेरा आँचल बन लहराऊ रे

कभी तेरी पायल बन खंनखाऊ रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो गीत आज मिलन के गाऊं रे

कभी तेरे बोल बन गुनगुनाऊं रे

कभी तेरे लबों पे सज जाऊं रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

मैं तो आज तेरा बन जाऊं रे

कभी तेरी साँसे बन मुस्काऊं रे

कभी तेरी धड़कन बन दिल में बस जाऊं रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

दिल की मेरे सुनले रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे

ओरी सखी रे सुन रे सखी रे 

झूठी शान

दम घुटता है झूठी शानों शौकत से

तड़पता है दिल हालातों के चुंगल में

कठपुतली बन नाच रहा हूँ

फंस मोह माया के जाल में

परिस्थिति की विडम्बना भी

कैसी विचत्र है बनी

जरुरत है आज जो सबसे बड़ी

उसी सामाजिक हालतों ने

रूबरू करवा दी सच्चाई

जिन्दगी की रफ़्तार से