Thursday, June 20, 2013

ज़माना

तुझसा हसीं कोई मिला नहीं

ज़माने को ये रास आया नहीं

बह गयी हर मर्यादायें

चाहत के इस सैलाब में

चढ़ पाती परवान दोस्ती

छुट गया इससे पहले दामन

हालातों के हिजाब में

नजर लग गयी अपनों की

चाहत के इस इकरार में

इबादत अब कोई शेष बची नहीं

जीवन के इस ठहराव पे 

ख़त्म हो गयी जिन्दगी

आंसुओ के सैलाब में



11 comments:

  1. ज़िन्दगी ख़त्म नहीं होती.....
    एक मोड़ होगा...

    सुन्दर भाव
    अनु

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    1. अनु जी
      आप शायद सही कह रही है .
      सादर
      मनोज

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  2. यह जिंदगी का एक पड़ाव है -जिंदगी तो चलती रहेगी
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !

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    1. सर आपके अमूल्य सुझावों का स्वागत

      सादर
      मनोज

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  3. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 23/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  4. Replies
    1. हौसला अफजाई के शुक्रिया

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  5. सुन्दर अभिवयक्ति .

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