Tuesday, June 11, 2013

गुमनाम

वो गुमनाम थी

मैं बदनाम था

डोर फिर भी एक बंधी थी

कसूर निगाहों का ना था

बात दिल की क्योंकि

उसके गालों के तिल में थी

जुबाँ भी साथ दे ना पाती थी

बस तितलियों सी मंडराती

वो इस दिल जले को ओर जला जाती थी

खूबसूरती की वो मिशाल थी

फिर भी वो गुमनाम थी

क्योंकि घूँघट उसकी शान थी

पर इस दिल की गलियाँ

उसके इश्क में बदनाम थी

ओर वो इन खबरों से भी अनजान थी

आखिर वो एक गुमनाम थी



 

1 comment:

  1. बहुत सुंदर, क्या कहने

    मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
    हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html

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