Thursday, December 13, 2012

वरण

हरण किया जिसने इस दिल का

वरण उसे करने की है तारीख आयी

डाल बाहों का हार गले में

कसमे खायी साथ निभाने की

बना चाँद को साक्षी

रस्मे पूरी कर डाली

समर्पित हो एक दूजे को

दो जिस्म पर जान एक बना डाली

न फेरे न बाराती

पर मेघा फूल बन बरस आयी

स्वयंवर से भी हसीन यह पल

यादगार मिलन बेला बन आयी

था इन्तजार जिस पल का

वो शुभ बेला चली आयी 

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