Saturday, December 29, 2012

दामिनी का बलिदान

लड़ गयी दामिनी मौत से

पर हार गयी साँसों की डोर से

खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी

चिथड़ों में जिन्दगी

अलविदा कह गयी दामिनी

विजय जय घोष के साथ

रो उठा खुदा भी

देख दामिनी की अंतिम रण हुँकार

झुक गया आसमां

लज्जा गया सूरज का भी आफताब

व्यर्थ ना जाए दामिनी का यह बलिदान

आओ हम सब मिल प्रण करे ये आज

हर नारी को मिले गर्व से जीने का अधिकार 

8 comments:

  1. samvedanshil prastuti लड़ गयी दामिनी मौत से

    पर हार गयी साँसों की डोर से

    खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी

    चिथड़ों में जिन्दगी

    अलविदा कह गयी दामिनी

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  2. दिनांक 31/12/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. इसी कसम खाने की सबको जरूरत है. सुन्दर रचना.

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  4. बस एक ही शब्द .....श्रद्धांजलि उस दामिनी को

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