Monday, October 29, 2012

बेजुबाँ

दिल की हसरतों को काश हवा दे पाते

मोहब्बत को अपनी जुबाँ दे पाते

तेरे ख्यालों की ताबीर बुना करते थे

काश तुमको ये बतला पाते

पाक ऐ बेनजीर थी चाहत

तुमको ये समझा पाते

मोहब्बत को अपनी जुबाँ दे पाते

चाहा सिर्फ तुम्हे

तुमको ये अहसास करा पाते

हर साँसों पे लिखा तेरा ही नाम

तुमको ये दिखला पाते

मोहब्बत को अपनी जुबाँ दे पाते

तुम थी मेरी दुआ

फ़रियाद तुम्हे ये सुना पाते

मोहब्बत को अपनी जुबाँ दे पाते

दिल की हसरतों को काश हवा दे पाते

मोहब्बत को अपनी जुबाँ दे पाते

No comments:

Post a Comment