Wednesday, September 19, 2012

गुफ्तगुं

सुध बुध भुला बातों में मशगुल जवानी

उलझी लट्टे बिखरे बाल

उन्मुन्दी आँखे वयां कर रही कहानी

थक के चूर ह जिंदगानी , पर

विश्राम के लिए बातों से फुर्सत कहा

इशारों इशारों में  समझा रही जवानी

लुफ्त जो ना लिया इस पल

गुफ्तगुं बन जायेगी परेशानी

भुला सुध बुध बातों में मशगुल जवानी

 

No comments:

Post a Comment