Thursday, August 2, 2012

जन्नत का द्वार

मदिरालय की सीढ़ी चढूं

या शिवालय की चौखट चुमू

कदम कह रहे है

जन्नत की जिन्ने चढूं

ना मयखाने में वो आग है

ना मंदिर में सुप्रकाश है

स्वर्ग के द्वार खुले

लिए फूलों के हार है

डगर यह आसान नहीं

क्योंकि मृत्यु ही जन्नत का द्वार है

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