Sunday, June 17, 2012

वो याद

धुंधलाती वो याद

मानस पटल पर उभरती मिटती छाप

अंगडाई लेते गुजरे कल के खाब्ब

ले आती वही

छानी थी जीन गलियों की ख़ाक

पड़ गयी समय की धुल

यादों के जीन पन्नो पर

बन गयी वो भूली बिसरी बात

धुंधला गयी वो याद

याद जब कभी आती है

गुजरे पल की बात

मानस पटल पर उभर आती है कोई छाप

पर धुंधला जाती है वो याद

वो याद

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