Wednesday, June 13, 2012

मातृभूमि

जिस मट्टी में मिली हो खुशबू बचपन की

झलकती है वो स्वाभिमान में

महकती है फिजायें बहती है हवाएं

लहराती है यादें जब दिलों के पास में

मातृभूमि है ए वो

जीते मरते है जिसके लिए शान से

अंत समय गुजरे उसकी बाहों में

ख़ाक हो जाये जीवन उस मट्टी में

जिस मट्टी में मिली हो खुशबू बचपन की

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