Wednesday, January 26, 2011

नमन

बड़े चले कदम

करतल ध्वनी शंख नाद के संग

सुर ताल से मिला रहे कदम

विजय घोष के संग

लाज रखी मातृभूमि की

कर जिन्होंने अपना सर्वसर बलिदान

नमन आज देश करे

कर उन वीर शहीदों को याद

इजहार

चाँदनी रात में

चाँद तारों के साथ में

हाथों में हाथ थामे

में ए इजहार करू

ओ साथी तेरे प्यार को

में अंगीकार करू

प्रणय इस बेला

सिंदूर भर तेरी मांग संवारू

चमक

यू लगे सूरज को भी था तेरा ही इन्तजार

अब तलक था इसिलये काले बादलों के दरमियान

भेजा जो तुने प्यार भरा पैगाम

चमक उठा प्यार भरी मुस्कराहट के साथ

लाचार

दर्द को मेरे रबा तू एक बार गले लगा ले

आह निकलेगी ना आंसू

पल में तड़प जाओगे

में हूँ कितना लाचार

झट से समझ जाओगे

अब तक जो ना सुनी फ़रियाद

सुनने उसे फ़ौरन दोड़े चले आओगे

लुफ्त

बिजली चमके मेघा बरसे

काले बादल लाये घटाए संग सारी

गूंजे आसमां बहे पवन वेग सयानी

कहे मन क्यों ना इस मौसम में

दिल को करने दे अपनी मनमानी

खूब भींगे नाचे गाये

लुफ्त उठाये ढेर सारी

ठिठुरन

काले बादलों ने समां ऐसा बांधा

दिन में रात घिर आयी

मस्त पवन की लहरे

शीतल मोज़े ले आयी

ठिठुरन ऐसी बड़ी

लिहाफ की गर्माहट भी

कम नज़र आयी

अहसास

तलाशा मैंने तुमको बहुत

हवों में तेरी खुशबू टटोली

सायों में तेरा अक्स तराशा

चन्दा निहारा

दर्पण निहारा

खुद में तेरा अक्स नज़र आया

बंद कर आँखे

दिल से पुकारा

मेरी धडकनों में

अहसास तेरा पाया

गुस्ताखी

डर लगने लगा है तक़दीर से अब

किस्मत धोखा ह़र बार ऐसा दे जाती है

पास आयी मंजिल भी

कोसों दूर चली जाती है

बदकिस्मती रब ने ऐसी लिखी

फूल एक भी खुशियों के

अब तलक पिरों ना पायी

दिल भी छूने को आतुर मंजिल

पर इस नसीब को ए

गुस्ताखी रास नहीं आती

मयखाना

जाम से जब जाम टकराएगा

मयखाना छलक जायेगा

होटों पे आते ही

सरुर इसका छा जायेगा

भुला के दुनिया सारी

आगोश में अपनी ए छुपा लेगा

महफ़िल तब सजने लगे

रूह बन जब रगों में बहने लगे

मस्ती की हिलोरें आने लगे

मदहोशी का नशा जब छाने लगे

जाम से जब जाम टकराएगा

मयखाना फिर छलक जायेगा

स्तब्ध

खामोश कदम चलते रहे

उलझाने अपनी गिनती रहे

वीरानगी में आहट टटोलते रहे

मौत का सन्नाटा

गुजर रहे ह़र लहमों

सिरहन बन दोड़ते रहे

स्तब्ध मौन गुमसुम साँसे

खामोश क़दमों से ताल मिलाते रहे

आसरा

पूर्ण नहीं हु

कुछ कमी है मुझ में

रब तुने भी आज जतला दिया

औरो की तरह हँस

दिल तुने भी दुखा दिया

विश्वास का आसरा था जो

तोड़ उसको , जिन्दगी को

आंसुओं के सैलाब में बहा दिया

Thursday, January 13, 2011

अधूरी हसरतें

कोशिश कई बार की

हसरते पर अधूरी रह गयी

तेरी चाहत सरुर बन गयी

पर दिल की बात जुबां पे आने से चुक गयी

इस नादान दिल को कैसे समझाये

तुम जब भी सामने आयी

हम तेरे हुस्न को ही निहारते रह गए

ओर दिल की बात कह नहीं पाये

नियति

मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी

आसरा मिला नहीं कोई

पनाह मांगती जिन्दगी

कदम अब थक गए

टूट गयी जिन्दगी

रुक मैं सकती नहीं

आखरी सांस तक चलना ही तेरी नियति

कह रही जिन्दगी

मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी

उम्मीद

नया जोश नयी तरंगे

नयी मस्ती से सराबोर

नए साल की उमंगें

रंग भरी आतिशबाजी से सजी

रंगीन आसमान की सलवटे

संगीत की धुनों पे थिरकते चाँद सितारे

जशन में डूबी मस्ती भरी साँसे

गले लग उड़ेलती मस्ती भरी बाते

नया साल नयी उम्मीदें

छोर

एकान्त समुद्र का किनारा

उफनती सागर की लहरों का शोर

भंग कर रही दिल के बोल

अथाह सागर की मौजा का सहारा

नीले पानी के खारे बोल

मन ढूंड रहा अपना छोर

दीवाना

इस कदर आपने हमको दीवाना बना दिया

जिन्दगी का ह़र लहमा यादगार बना दिया

इस बेजान दिल में प्यार का रंग बरसा दिया

हमको भी प्यार करना सीखा दिया