Friday, December 24, 2010

चकित

भरी सभा द्रोपदी का चिर हरण होने लगा जब

हाथ जोड़ याद किया कृष्ण को तब

साड़ी का आँचल इतना बड़ा दिया

थक हार गए कौरव सारे

मिला ना अंत छोर साड़ी का

देख कृष्ण तेरी माया

चकित रह गया जग सारा

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