Tuesday, December 21, 2010

सादगी

तेरे हुस्न की सादगी पे हो फ़िदा

चाँद ने चाँदनी की चुनर उढाई

सितारों ने जगमग करते तारों से मांग सजाई

मंत्र मुग्ध हो दर्पण भी शर्माए

ओ मेरे दिल की रानी

तेरी सादगी के कुदरत भी है हारी

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