Sunday, June 20, 2010

अपनी भी बात

क्यों ना ऐसा करे

आओ हम तुम मिल चिठ्ठी लिखे

बात जो कह नहीं सके

ख़त के जरिये , शब्दों में वया करे

खोल दे दिलों के राज

सुनके एक दूजे के दिलों का हाल

क्या पता बन जाये अपनी भी बात

जुड़ जाये अपने भी दिलों के तार

थामे एक दूजे का हाथ

कर दे मोहब्बत का ऐलान

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