Monday, March 8, 2010

दर्दनाक जिन्दगी

खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं

छुट गयी बचपन की यादें

जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं

गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं

रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं

शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं

तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं

ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी

दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं

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