Monday, March 29, 2010

अधूरी कविता

शब्द कहीं खो गए

कविता अधूरी रह गयी

तलाशा बहुत टटोला बहुत

पर वापस मिले नहीं

टूट गए शब्द

बिखर गयी शब्दों की माला

ओर रह गयी कविता अधूरी

राह गुजर

दिल फ़िदा तुम पे मर मिटा

तरस रहे नयन तड़प रहा मन

तुम बिन अब चैन कहा

ओ मेरी राह गुजर

ओ मेरी शामे शहर

सुनले तू दिल की वफा

हो गया है ये तुझ पे फ़िदा

आके बाहों में दुनिया भुला जा

आ आजा , आके दिल में समां जा

ओ मेरी राह गुजर

ओ मेरी शामे शहर

खाब्बों में

खाब्बों में ख्यालों में

अक्सर कोई आता है

आके मुझे जगाता है

नगमे नए सुनाता है

ह़र ओर वही नज़र आता है

काश ऐसा होने लगे

सपनों की दुनिया से निकल

आके वो मझसे मिले

चाहत है वो हमारी

अब नहीं दुनिया उस बिन प्यारी

कहने का एक मौका हमको भी दे दे

रखेगें सर का ताज बना कर

चाहेंगे ना किसी ओर को

एक बार सपनों से निकल

आके वो हमसे तो मिल

Friday, March 19, 2010

धैर्य

धैर्य धर धीरज रख

मुश्किल घडी गुजर जायेगी

शांत रह विश्वास रख

ख़ामोशी के साथ

तूफ़ान गुजर जायेगा

ह़र रात की सुबह होगी

बुरे वक़्त के बाद

अच्छा वक़्त आयेगा

सबक है ये जिन्दगी का

ना कभी घबराना तुम

खुद पे यकीन रखना

तूफा गुजर जाने का

इन्तजार करना तुम

गोल

गोल गोल घुमे दिल की वॉल

छू लिया तुने हो गयी गोल

देख तुझको फुदक रही दिल की वॉल

तेरी प्यारी सी हँसी पे

हो गया दिल अपना गोल

तेरे सुन्दर गोल गोल नयनों के आगे

हारी अपनी दिल की वॉल

सुनके तेरी इकरार हो गयी

अपनी दिल की गोल

गोल गोल घुमे दिल की वॉल

खुमारी

उतर गयी खुमारी

चढ़ गयी बेताबी

लुट गयी दुनिया

उजड़ गयी जवानी

अपने ही हाथों

तहस हो गयी जिंदगानी

बची ना अब कोई आस

साथ छोड़ गयी परछाई भी अपनी

देख हश्र ये

जिन्दगी भी रो पड़ी

तिल तिल तडपता देख

ओर जीने की तम्मना ना रही

खुमारी उतरने से पहले ही

जिन्दगी बेजार हो गयी

Wednesday, March 17, 2010

मुलाक़ात

तलाश अभी जारी है

ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात अभी बाकी है

हसरतें अधूरी सी है

प्यास अभी बाकी है

ललक कुछ कर गुजरने की है

अब तलक क्या खोया क्या पाया

ये चिंतन अधूरी है

है तलाश किसकी नहीं मालुम

फिर भी तलाश जारी है

शायद अनजाने मैं ही सही

क्योंकि ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात

अभी तलक बाकी है

सफलता की मिशाल

ख़ुद ने ख़ुद को प्रोत्साहित किया

कदम बढ चले नई मंजिल की ओर

शिखर कामयाबी का

कल तक जो लगता था दूर

आज वो लग रहा बहुत करीब

फासला चाँद कदमो का मिटने को है त्यार

इतिहास दोहरायेगा ख़ुद को

ओर बन जायेगी एक नई पहचान

स्वर्ण अक्षरों में लिखी जायेगी

सफलता की ये मिशाल

Tuesday, March 16, 2010

मधुर संदेश

खिलती कलियाँ बहते झरने

गीत सुनाये नित नए

जोश नया उमंग नई

सुन के कण कण में बस जाए

भूल कल को जी लो इस पल को

मधुर संदेश कहे ये तो

भोली भाली

दिल हो जिसका काला सूरत हो भोली भाली

सूरत पे उसकी ना जाना यारों

ऐसे लोग नहीं होते खतरे से खाली

पछताना ना पड़े कभी

इसलिए अभी से करलो ऐसे लोगो से दूर किनारी

Wednesday, March 10, 2010

छत्र छाया

अंगुली आप की छुट गयी

यादें बस पास रह गयी

आप के आशीर्वाद की छत्र छाया में

ह़र अरमान ह़र सपने साकार हो गए

कमी आपकी ह़र पल खलती है

ह़र पल जिन्दगी आपको ही सुमिरन करती है

स्वर्गलोक गमन की इस पुण्य तिथि

आंसुओ से भींगे दो फूल हमारे भी

हे पिता श्री आप अपने श्री चरणों में स्वीकार करो

कडवी बातें

चुभती है कडवी बातें

अच्छी लगती है मीठी बातें

सारा खेल ही है बातों का

बातों की बात निराली

कहीं ह़र लेती है प्राण बातें

कहीं बन जाती है संजीवनी बातें

सोच समझ कर करो बातें

छोड़ कडवाहट को

जीत लो जग को मीठी बातों में

मिथ्या

जहा पग पग बिखरे पड़े मिथ्या के बोल

चल नहीं सकती उस राह रिश्ते की डोर

जहा मिथ्या है सबसे बड़ा पाप

वही रिश्ता है सबसे पाक

रखनी है अगर रिश्ते की लाज

तो छोड़ना पड़ेगा मिथ्या का साथ

Monday, March 8, 2010

ख्यालों में

दोस्तों को लोग याद करते है यदा कदा

पर दुश्मनों को करते है सदा

काश हम भी दुश्मनों की गिनती में होते

कम से कम आपके ख्यालों में तो ह़र पल होते

दर्दनाक जिन्दगी

खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं

छुट गयी बचपन की यादें

जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं

गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं

रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं

शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं

तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं

ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी

दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं

अपना रंग

ह़र रंगों में है एक रंग अपना

रंगों की दुनिया से ही सजा है दिल अपना

प्रेम रंग है सब का सपना

दुआ करो इस होली मिल जाये कोई रंग अपना