Saturday, February 27, 2010

पहाड़

निश्चल खड़ा पहाड़

कह रहा है पुकार

अडिग रहो करम पथ पे

ना करो अभिमान

देखो मुझको अविचलित खड़ा हु

सीना अपना ताने

चाहे आओ आंधी या तूफ़ान

डिगा ना पाये मेरा स्थान

तुम भी खड़े रहो मेरी तरह

करम पथ पे अपने

बस मत करना अभिमान

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