Tuesday, January 12, 2010

अनमोल आंसू

हर आंसुओ को सहेजा है

मोतियो की माला में गुंथा है

अनमोल है ये आंसू

सहेज के इनको आँखों में रखा है

बेवजह निकल ना जाए आंसू

आँखों को बंद कर रखा है

लग गई जो आंसुओ की झड़ी

माला अश्को की पिरो ना पाऊंगा

आंसुओ की कीमत को जाना है

हर आंसुओ को इसलिए खूबसूरती से सहेजा है

नफासत से इनको आँखों में कैद कर रखा है

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