Saturday, January 23, 2010

समझदार प्राणी

ब्रह्माण्ड है विशाल धरा है महान

प्रकृति की कण कण में विराजे जीवन हजार

पग पग बिखरा पड़ा है सौन्दर्य रूप अपार

निज स्वार्थ मानव कर रहा है सृष्टि का विनाश

कैसे समझाए इस समझदार प्राणी को

जब नहीं बचेगी धरती तो कैसे बचेगा ब्रह्माण्ड

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