Monday, January 11, 2010

छुपाऊ

जितना दर्द छुपाऊ उतना वया होता है

दिल जब रोता है आँखों से बरसता है

सुनाई देती नहीं रुंदन चोरी चोरी ये रोता है

दिखते नहीं आंसू बारिस की बूंदों में घुल जाते है

सुनी आँखे फिर भी दिल का दर्द वया करती है

देख अपनों को आँखे छल छला पड़ती है

दर्द जितना भी छिपाऊ उतना ही वया होता है

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