Friday, January 8, 2010

परम पूज्य पिताश्री

जब जब विपदा आई

थामी रखी आपने डोर

कर ना सकी वो की दुह्साहस

लगन और कर्मठ बेक्तित्व से आपने

जीत लिया फिर से हारा हुआ संसार

सची निष्ठा और लगन की आप हो मिशाल

प्रेरणा बन सिखला दिया कर्तव्य बोध पाठ

थमा हमारे हाथो में जीवन रथ की डोर

चले गए आप वैकुंठ लोक

वैकुंठ गमन की तिथि

दो फूल हमारे भी स्वीकार करो

सर पे हमारे सदा रखना अपना हाथ

हुई हो कोई भूल तो करना हमें माफ़

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