Monday, November 9, 2009

पागल पवन

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

बरसी जो घटा बनके शीतल चुभन

उड़ने लगी खाबो की उड़न

बरसने लगी उमंगो की तरंग

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

बदलने लगा आसमा का रंग

छाने लगी मेघो की छम छम

गाने लगी कोयल गीतों बहार

उठने लगी मन में उमंगें हज़ार

झुमने लगा दिल ये बार बार

ओ री पवन सुन री पवन

ओ री पागल पवन

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