Thursday, August 6, 2009

चलते जाना

जज्बातों को सीने में दबाये

दर्द को दिल में छुपाये

चुपके से चल दिए

जख्म गहरे लिए

हरे घाव लिए

लहुलुहान अरमानो को लिए

अनजाने सफर पे चल दिए

बैचेन रूह को लिए

टूटे सपनो को साथ लिए

सुनी राह पे चल दिए

ना अब कोई मंजिल है

ना कोई ठिकाना

फिर भी ह की चलते ही जाना

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