Friday, June 6, 2025

मृगनयनी

उमड़ रही काली घनघोर घटाओं मझधार से l

कानाफूसी कर्णफूलों सजी बैजंती झंकार से ll


गुनाहों सी एक कंपकंपी हवाओं के रुखसार में l

बेअसर डोरी थामे रखने पतंग कमान अपनी धार में ll


मोजों कहानी तामील तमन्नाएं रह गुजरी l

सिंदूरी रंगों रंगी अर्पण लहरों अंतर्ध्यान से ll


दर्पण अर्पण बिंदी खोई अर्ध चाँद दाग में l

अंजलि तर्पण भिगोॅ गयी कायनात साथ में ll


ख्याल सवार मृगनयनी रूमानी खुमार में l

सहर दस्तक तामील हो गयी साँझ गुनाह में ll

Thursday, May 8, 2025

बोलियाँ

बोलियाँ मोगरे झूमके वाली वालियाँ फूलों की l

साँझी आयतें अल्फाजों कारीगरी रूहों की ll


खतों विरासत अस्तित्व स्पर्श चाँद स्पंदन की l

महका गयी पतझड़ बसंती सावन फुहारों की ll


मरुधरा चाँदनी गुलमोहर ईद रात सितारों की l

मयूर मन खिला गयी बंद दिल दरवाजों की ll


उलझी उलझी लट्टे केशों पेंचों पतंगों डोरी की l

हौले से कादंबिनी धड़कने बन गयी ख्वाबों की  ll


बातें तितलियों के सुंदर नयन बसेरों सागर की l

ठग गयी आरजूएँ अंजुमन बिस्मिल राहों की ll

Sunday, May 4, 2025

अर्थ

अलसाई सहर पैबंद सरीखी सी कायनात बीच l

कयामत खलल ख्वाबों ख्यालों अफ़सानों बीच ll


धूप अरदास धूनी कौतूहल सी लागत दर्पण नीर l

पुकार हृदय मांझी नृत्य साधना यौवन सागर क्षीर ll


सुस्त लम्हों दरमियाँ आलिंगन महताब मंजर धीर l

वृतांत पर्वतों सा विशाल पिघल चला लावा चीर ll


अस्मत आँचल ओढ़नी सहमी नयनों काजल तीर l

सौदागरी अदाकारा वाणी राहत तारों भरी भीड़ ll


तृप तरुण तर्पण साँझी सुगंध बेला मरुधर बीच l

परिहार परिहास कस्तूरी टटोल भटका मन अधीर ll


रूहानियत रूमानियत अंतर फासले साजों बीच l

अर्थ मौसिकी आधा खोया सा बैचैन करवटों बीच ll

Wednesday, April 2, 2025

संवाद

एक विस्मित सा संवाद था उसकी आयतों कारीगरी में l

केशों गुलाब लिखी जैसे कोई ग़ज़ल थी उसकी अदाकारी में ll


रूह महकी थी जिन अधूरे खत भींगी आँचल साझेदारी में l

नफासत नजाकत लाली शामिल जिसकी रुखसार तरफदारी में ll


काफिर महकी आँखें पेंचों उलझी जिसकी रहदारी में l

उत्कर्ष स्पर्श था उसकी चंदन बिंदी पहेली रंगदारी में ll


दार्शनिक सी उसकी गलियों की वो टेढ़ी मेढ़ी पगडण्डियाँ l

जुस्तजू गुलदस्ता कहानियां पिरोती कर्णफूल आसमानों की ll


इस खामोशी स्पन्दन से गुदगुदा करवटें बदलती आरजूएँ l

तस्वीर नयी सहर रंग गयी बैरंग खत पन्नों रुकी कूँची राहों में ll

Sunday, March 2, 2025

अमोघा

साँझ धूनी चंद्र घटा नीले रक्त आवेग संगम l

कल्पवास लीन बिंदी माथे चंदन तारों घूंघट ll


मंथन तट सुरमई रंग रंगी मुद्रि अनोखी बंधन l

मधुमास रुचिर कंचन काया पूर्णाहुति सुंदर ll


बाँध अर्पण अश्वमेघ मन्नत डोरी धरा तर्पण l

क्षितिज लालिमा कामिनी जोहर अभिनंदन ll


चंचल युगम तृष्णा मरूभूमि त्रिशंकु अम्बर l

मेघों आँखों लुप्त मृगतृष्णा काले सायों अंतर ll


क्षीर वचन मंत्र सूत्र केश धूलि त्रिवेणी संगम l

कायनात सृष्टि अमोघा परिणय पावन संगम ll